Gudi padwa महाराष्ट्र ,गोवा और दक्षिण भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने वाला प्रमुख हिन्दू त्योहार हे। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता हे। इस दिन लोग अपने घरो के बहार गुड़ी (झंडा) लगाते हे जो विजय ,समृद्धि और नए साल के आगमन का प्रतिक माना जाता हे।इस साल गुड़ी पड़वा 30 मार्च को मनाया जायेगा।
गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता हे ? मुख्य कारण
-
हिन्दु नववर्ष की शुरुआत
गुड़ी पड़वा विक्रम सवंत के नए साल का पहला दिन होता हे। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि भी शुरू होती हे। ऐसा मन जाता हे कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन श्रुष्टि की रचना की थी , इस लिए इसे श्रुष्टि दिवस भी कहा जाता हे
-
भगवान राम का विजय का प्रतिक
एक पौराणिक मान्यता अनुसार ,इसी दिन भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस लौटे थे। उनकी जीत की खुशी में लोगो ने घरों पर गुड़ी लहराई थी , जो आज तक परंपरा बानी हुई है।
-
शालिवाहन शक का आरंभ
इसी दिन शालिवाहन शक संवत की शुरुआत हई थी। कहा जाता हे कि सम्राट शालिवाहन ने इसी दिन शकों पर विजय प्राप्त की थी, जिसके बाद से यह नया संवत चलन मे आया।
-
किसानों के लिए महत्व
गुड़ी पड़वा फसलों के नए सीजन की शरुआत का भी प्रतीक हे। इस समय रबी की फसल कटती ह और खेतो मे नई बुआई की तैयारी होती हे।
-
वैज्ञानक दृिष्टकोण
वसंत ऋतु मे मनाए जाने के कारण इस दिन हवा मे पोजिटव एनर्जी का संचार होता हे। गुड़ी लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दुर होती हे और सकारात्मकता बढ़ती हे ।
-
Gudi padwa कैसे मनाया जाता हे?
-सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और नए कपड़े पहनना।
– घर की सफाई करके रगोली बनाना।
– गुड़ी (एक बांस के डंडे पर रंगीन कपड़ा, नीम की पत्तिया, गुड़ और सिक्के बांधकर) घर का मुख्य द्वार परलगाना।
– पुरन पोली, श्रीखंड और मीठे व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाना।
– पारंपरिक नृत्य और गीतों के साथ उत्सव मनाया जाता हे।
गुड़ी पड़वा न सिर्फ एक धार्मिक त्योहार हे , बल्कि यह नई शरुआत, सामाजिक एकता और प्रकृति के साथ तालमेलका भी प्रतीक हे। इस दिन लोग नए संकल्प लेते हे और खुशहाल जीवन की कामना करते हे ।
👍I like gudi padva